टीस उठैए करेज में कोना कहु बितैए की
कोन लगन लगेलौं अहाँ सँ याद अबैए की
जतय देखु जिम्हर देखु अहीँ केँ देखै छीक
कोना बितत दिन-राति कोना कए बितैए की
की करू कोना करू आब नै किछ फुराईए
कोन लगन लगेलौं अहाँ सँ याद अबैए की
जतय देखु जिम्हर देखु अहीँ केँ देखै छीक
कोना बितत दिन-राति कोना कए बितैए की
की करू कोना करू आब नै किछ फुराईए
रहि-रहि क ' याद अहुँ केँ हमर आबैए की
प्रियतम 'मनु' केँ किएक इना तरपाबै छी
मोन में लहर उठल से अहुँ केँ लगैए की
प्रियतम 'मनु' केँ किएक इना तरपाबै छी
मोन में लहर उठल से अहुँ केँ लगैए की
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१७)
जगदानन्द झा 'मनु' : गजल संख्या-१०
Priyatam ke yaad abaite matar mon me hilkor uthait chhaik tahoo me hirdya san prem kenihar ke taya aaor besi..bad neek ghazal.
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद किशनजी
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