की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

रविवार, 8 जनवरी 2012

गजल


जखन-जखन सोचब हमरा
अपने में अहाँ पायब हमरा

हमर शव्द गीत  बनि कान में
कचोटे त ' अहाँ सोचब हमरा

हम दूर छी त ' कोनो बात नहि
मोन में अपन पायब हमरा

दू काया एक प्राण छी हम दुनू
भे
ब त ' अहाँ बुझब हमरा


अहाँ कहलौं जे हम अहाँक  छी
मरला बादो निभायब हमरा 

(सरल वार्णिक बहर,वर्ण-१२)
जगदानन्द झा 'मनु' : गजल संख्या -६ 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें