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रविवार, 8 जनवरी 2012

गजल


जखन-जखन सोचब हमरा
अपने में अहाँ पायब हमरा

हमर शव्द गीत  बनि कान में
कचोटे त ' अहाँ सोचब हमरा

हम दूर छी त ' कोनो बात नहि
मोन में अपन पायब हमरा

दू काया एक प्राण छी हम दुनू
भे
ब त ' अहाँ बुझब हमरा


अहाँ कहलौं जे हम अहाँक  छी
मरला बादो निभायब हमरा 

(सरल वार्णिक बहर,वर्ण-१२)
जगदानन्द झा 'मनु' : गजल संख्या -६ 

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