की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

शनिवार, 28 जनवरी 2012

गजल @प्रभात राय भट्ट


गजल
हम अहां केर प्रीतम नहि बनी सक्लहूँ
मुदा अहांक करेजक दर्द बनी गेलहुं

अहां हमर प्रेम दीवानी बनल रहलौं
हम अहांक दीवाना नहि बनी सक्लहूँ

अहां हमर प्रेम उपासना करैत गेलौं
हम आनक वासना शिकार बनी गेलहुं

अहांक कोमल ह्रदय तडपैत रहल
हम बज्र पाथर केर मूर्ति बनी गेलहुं

हम अहांक निश्च्छल प्रेम जनि नै सकलौं
अनजान में हम द्गावाज बनी गेलहुं

आब धारक दू किनार कोना मिलत प्रिये
मजधार में हम नदारत बनी गेलहुं
................वर्ण:-१६ ...............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें