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मंगलवार, 10 जनवरी 2012

पर्वत एहन दर्द ~~~~~~~~~~

कोलाहल अछि सागर एहेन ,
लहर एहेन अछि भरल द्वन्द ,

पर्वत एहन दर्द भरल अछि ,
आ ढेपा एहन अछि आनंद ,

जिनगी क इ रस देखु त ,
कतेक लगेत नुनगर अछि ,

जीत जाई अछि दुःख दर्द सभ,
एसकर सुखे टा हारल अछि ,

फूल सरीखा मांछाक ऊपर ,
बिछायल अछि काटंक फंद,

पर्वत एहन दर्द भरल अछि ,
आ ढेपा एहन अछि आनंद ,

जतबे ताकि हम शीतलता ,
ओतबे लहरल आइग भेटाए,

प्यास त चुप चाप भेल अछि ,
मौनक् मदिरा हम पिलहूँ,

संपन्न भा गेल सबटा गीत ,
शेष बांचल अछि व्यथा केर छंद ,

पर्वत एहन दुःख भरल अछि ,
आ ढेपा एहेन अछि आनंद ,

स्वस्नेह [रूबी झा ]

1 टिप्पणी:

  1. बड्ड नीक कविता | मैथिलपुत्र ब्लोक पर अहाँक स्वागत अछि , आगुओ अहाँक नीक-नीक मैथिली रचना सब कए इन्तजार रहत

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