की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

रविवार, 14 अप्रैल 2013

गजल

माँ शारदे वरदान दिअ
हमरो हृदयमे ज्ञान दिअ

हरि ली सभक अन्हार हम
एहन इजोतक दान दिअ

सुनि दोख हम कखनो अपन
दुख नै हुए ओ कान दिअ

गाबी अहीँकेँ  गुण सगर
सुर कन्ठ एहन तान दिअ

बुझि पुत्र ‘मनु’केँ माँ अपन
कनिको हृदयमे स्थान दिअ

(बहरे रजज, मात्रा क्रम - २२१२-२२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें