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रविवार, 14 अप्रैल 2013

गजल

माँ शारदे वरदान दिअ
हमरो हृदयमे ज्ञान दिअ

हरि ली सभक अन्हार हम
एहन इजोतक दान दिअ

सुनि दोख हम कखनो अपन
दुख नै हुए ओ कान दिअ

गाबी अहीँकेँ  गुण सगर
सुर कन्ठ एहन तान दिअ

बुझि पुत्र ‘मनु’केँ माँ अपन
कनिको हृदयमे स्थान दिअ

(बहरे रजज, मात्रा क्रम - २२१२-२२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’

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