माँ शारदे वरदान दिअ
हमरो हृदयमे ज्ञान दिअ
हरि ली सभक अन्हार हम
एहन इजोतक दान दिअ
सुनि दोख हम कखनो अपन
दुख नै हुए ओ कान दिअ
गाबी अहीँकेँ गुण सगर
सुर कन्ठ एहन तान दिअ
बुझि पुत्र ‘मनु’केँ माँ अपन
कनिको हृदयमे स्थान दिअ
(बहरे रजज, मात्रा क्रम - २२१२-२२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’
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