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रविवार, 21 दिसंबर 2014

भक्ति गजल


शिव केर महिमा के नै जनैत अछि
सबहक मनोरथ  पूरा करैत अछि

दिन राति भोला पीबैत भांग छथि
हुनकर चरणकेँ के नै गहैत अछि

पति ओ उमाकेँ सबहक पतित हरन 
भोला हमर सबकेँ दुख हरैत अछि

बसहा सवारी बघछाल अंगपर
शमशानमे रहि दुनियाँ हँकैत अछि

नै मूँगबा खाजा चाहिएनि जल
‘मनु’ आक धथुरसँ हिनका पबैत अछि

(मात्रा क्रम : २२१२-२२२१-२१२) 
© जगदानन्द झा 'मनु'

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