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बुधवार, 30 मई 2012

गजल

माए बाप बेटी के जतन सं राखै छै सहेज
ह्रिदय टुक्रा दान करैय में फाटै छै करेज

ख़ुशी के नोर बह्बैत बाप करै छै कन्यादान
दुलहा के चाही टाका रुपैया मागै छै दहेज़

दुलहा बनल याचक बाप बनल पैकारी
की सब चाही दहेज़ ओ सूनाबै छै दस्तावेज

बाप बेचीं घर घरारी दैय छै मोटर गाड़ी
बर मागै सोफासेट बाप तनै छै गोदरेज

दहेजक आईग में जईर कs मरैय बेट्टी
की जाने लोक एकरा कोना करै छै परहेज
--------वर्ण-१७---------------
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

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