की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

गुरुवार, 10 मई 2012

गजल

काइल्ह सौं काग क्रूरे भीतक कगनी पर
आशो निराश भ'बैसल हुनक करनी पर

करिया काग देखि सोचीक लगेये डॉर
अनहोनी नै भ' जाय कागक कथनी पर

झहरे नोर झर- झर अछि किछु फुरै नै
जा क' क्यो त' सगुन ऊचारहू कहनी पर

बरखो बितल लागेय हुनकर एनाई
बताहि छी आयेल छला धनरोपनी पर

आई जौं कागा कहब अहाँ हुनक उदेश
सोना मेरहायेब लोल अहाँ बजनी पर

सरल वार्णिक बहर वर्ण --१६
(रूबी झा )

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें