आब केहन जमाना आबि गेल
बर्खमे एक्के दिन
माएकेँ यादि करै छी,
मदर डेकेँ नाम पर
माएकेँ याद करै छी
की हुनक सुखएल घाकेँ
काठी कए कs जगाबै छी।
हम बिसैर गेलहुँ
अपन माएकेँ
मुदा ओ नहि बिसरली,
जाहिखन हुनका भेटलनि
सुन्दर कार्ड 'हैप्पी मदर डे' लिखल
भेलनि करेजा तार-तार
नोर टघैर कs
अपन स्पर्शसँ
गालकेँ छुबैत
हुनक करेजा तक चलि गेल
आ करेजामे बंद
महामाएकेँ कोंढ़सँ
सोनितमे डुबल शव्द निकलल
आह !
की ई हमर ओहे लाल ?
जेकरा पोसलहुँ खूनसँ
पाललहुँ अपन दूधसँ
अपने सुतलहुँ भिजलमे
ओकरा लगेलहुँ करेजसँ।
आई
चारि बर्खसँ भेटल नहि
रहि रहल अछि परदेश
अपन कनियाँ सँग
बिसरि गेल बिधवा माएकेँ
आई अकस्मात माए यादि एलैह
ई सुन्दर चिट्ठी (कार्ड) पठेलक
मुदा की लिखल ?
'हैप्पी मदर डे'
नमहर साँस लैत
हुनक मोन आगू बाजल
जखन मदरे नहि हैप्पी
तँ कोना मदर डे हैप्पी ?
कोना मदर डे हैप्पी ?
✍🏻जगदानन्द झा 'मनु'
अंग्रेजीक बढ़ैत बर्चस्व समस्त भारतीय भाषा कें ठेठुआ देखा रहल अछि. मैथिली सेहो अहि राष्ट्रीय प्रतारणा के शिकार भय गेल अछि .
जवाब देंहटाएं