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गुरुवार, 3 मई 2012

गजल


अहाँक साधना मात्र सौं हम प्रेम करै छी
अहाँक भावना मात्र सौं हम प्रेम करै छी

देखू त' हमरा अगल- बगल नै छी मुदा
अहाँक कामना मात्र सौं हम प्रेम करै छी

कहिओ एको घरी अहूँ याइद केने हैब
त' ओहि तुलना मात्र सौं हम प्रेम करै छी

हम जतए छी अहिंक छी आ सपना सेहो
त' ओहि सपना मात्र सौं हम प्रेम करै छी

एको दिन हमरा सौं अहूँ प्रेम केने हैब
अहाँक प्रेरणा मात्र सौं हम प्रेम करै छी

प्रतिक्षा करैत रहे छी ब्याकुल भ' अहाँ के
अहाँक सामना मात्र सौं हम प्रेम करै छी


(सरल वर्णिक बहर,वर्ण-१६)
रूबी झा

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