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सोमवार, 7 मई 2012

गजल

कतेक सहत एही मिथिला में मैथिली बेटी अपमान यौ
आबियो ये बहिना बढ़ू यौ भैया करू मिथिलाक उत्थान यौ

गाम में दहार छल आयेल भदबारी क' फसलो भासल
रबी फसल देखि बाबु माथ हाथ द' बैसला खरिहान यौ

माँ मुख बाबु नै ताकैथ एको बेर नजरियों नै मिलाबैथ
माँ के करेज त ऐना फाटे छैन जेना फाटल आसमान यौ

बाबा गेलखिन वर ताको लेल सौंसे मिथिला घूमी क एला
धिया क' सूरत देखि- देखि दाई क' छुटये छएन प्राण यौ

अछि ईंजिंयर क' मांग बीस लाख डाक्टरक शान की कहू
बड़का ऑफिसरक नै पुछू जेना खुजल अछि दोकान यौ

अछि की दोख एही में कन्या क' सासुर जा क' ओ मारल जेती
नैहरो में त' दहेज़ बिनु आई बेटीये तजै छथि प्राण यौ

कहे ओना छथ बेटी क' लक्ष्मी एहन किएक केलो बिधना
जखने बेटी भूमि खसली सबहक मोन किये निम्झान यौ

----------------सरल वार्णिक बहर वर्ण -२२-----------------
[रूबी झा ]

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