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मंगलवार, 29 मई 2012
रुबाइ
गम गम गमकै छै महफ़िल सजल छै गुलाब
छल छल छलकै छै गिलास में भरल छै शराब
एक घूंट में कियो पीगेल उठाके बोतल समूचा
मातल पियक्कड़ कहैत छै गंगाजल छै शराब
---प्रभात राय भट्ट -----
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