की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

शुक्रवार, 4 मई 2012

गजल

धीया-पुता दुख नहि बूझय, हँसी मुँह पर साटय छी
खरचा एक पुराबय खातिर, दोसर खरचा काटय छी

आजुक युग मे कम्प्यूटर बिनु, नवतुरिया सब की पढ़तय
मुदा माँग पर, टाका नहि तेँ, बच्चा सब केँ डाँटय छी

बनल बसूला सम्बन्धी-जन, बाजय मीठगर बोली यौ
दुख मे रहितहुँ पर विवेक सँ, सभहक हिस्सा बाँटय छी

अपन हृदय मे भाव जेहेन छल, बुझलहुँ छै तेहने दुनिया
चीन्हा गेल अछि अप्पन-अदना, हुनके सबकेँ छाँटय छी

सुमन संगिनी जीवन भेटल, रूप मनोहर काया संग
दुख भीजल तऽ चोकर आमक, रूप देखिकय फाटय छी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें