एक दू रंजू सन सेनानी शहीद भेली सौ रंजू उपारजन अवश्य हेतै
शोणितक एक-एक बुन के लो' क' छोरत हिसाब मिथिला सब दुश्मन सौं
किछ भ' जाय आब त' मिथला पृथक राज बनि क' स्वर्गासन अवश्य हेतै
उज्जर बान्हने छी कफ़न मांथ पर क्रांति ध्वज आब फहरायेत रहत
सूर्य सन चमके मुखमंडल मिथिला रिपु मुख चूरासन अवश्य हेतै
निश्चय स्वर्ण आखर में नाम शहीदक मानचित्र लिखायेत मिथिला क'
गोबर सौं पोति देब नाम दानव कए जरल कोयलासन अवश्य हेतै
अपन स्वराज्यक जौं देखलौं सपन हम त' कोन बरका अपराध छैक
कतबो खौन्झेते दुश्मन सब मिथिला बस आब मिथिलासन अवश्य हेतै
{रूबी झा }
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