मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। कृपया एहि ब्लॉगकेँ subscribe/ फ़ॉलो करब नहि बिसरब, जाहिसँ नव पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनिकेँ भेटैत रहत।

सोमवार, 7 मई 2012

गजल

प्रेमक दीप जरा क' राखब कनेक बताहि हम छी जनु
अपन जान चोरा क' राखब कनेक बताहि हम छी जनु

कतेक पैघ-पैघ चोट भेंटल तखनो नै अनुमान भेल
विरह तीर गरा क' राखब कनेक बताहि हम छी जनु

सपना में त' पिया मिलन के हम स्वप्न सजा के राखए छी
सिनेह घैल भरा क' राखब कनेक बताहि हम छी जनु

आँचर सौं बाट बहारब झार पात हटायेब पिपनी सौं
आँगन सौं त' परा क' राखब कनेक बताहि हम छी जनु

इ त' प्रेमक अनुभूति छैक कोना बूझत जे नै प्रेम करै
रूबी आइंख नोरा क' राखब कनेक बताहि हम छी जनु
--------------सरल वार्णिक बहर वर्ण -२२ ---------------
(रूबी झा )

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें