गजल
प्रेमक दीप जरा क' राखब कनेक बताहि हम छी जनु
अपन जान चोरा क' राखब कनेक बताहि हम छी जनु
कतेक पैघ-पैघ चोट भेंटल तखनो नै अनुमान भेल
विरह तीर गरा क' राखब कनेक बताहि हम छी जनु
सपना में त' पिया मिलन के हम स्वप्न सजा के राखए छी
सिनेह घैल भरा क' राखब कनेक बताहि हम छी जनु
आँचर सौं बाट बहारब झार पात हटायेब पिपनी सौं
आँगन सौं त' परा क' राखब कनेक बताहि हम छी जनु
इ त' प्रेमक अनुभूति छैक कोना बूझत जे नै प्रेम करै
रूबी आइंख नोरा क' राखब कनेक बताहि हम छी जनु
--------------सरल वार्णिक बहर वर्ण -२२ ---------------
(रूबी झा )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें