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सोमवार, 28 मई 2012

गजल

चान सँ सुन्नर सजनी हमर एहेन  नै  केखनो सोचलौं हम
भाग में लिखलाहा छल हमर जे अहाँ केँ  अपन  बनेलौं हम
 
एक चान अछि धरती केँ  ऊपर जेकरा सभ  कियो देखते छी
दोसर हमर हृदय में बसल पाँज में जकरा भरलौं हम
 
अहाँ छी सुन्नर हे मनमोहनी तन मन सभ निश्छल अहाँ केँ
एहि सादगी पर मरि मीटलौं अहीँक पूजा करै लगलौं हम
 
आँखि मुनि आ खोलि हम  सामने हमर अहाँ रहै छी सदिखन
सुन्नर छबी निहारैत अहाँ केँ अहीँक लौलसा में रहलौं हम
 
चन्ना ताराक संग जेना छैक सुख दुख पल-पल जीबन भरि
रहि जीबन भरि 'मनु' सुगँधाक जीबन अहाँ केँ सोपलौं हम 
 
(वर्ण- २४)  
जगदानन्द झा 'मनु'
 

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