गीत लिखलहुँ आयतक जे, भावना के सँग मे
ताहि कारण अछि सुमन के, रंग श्यामल रंग मे
जे एखन तक भोगि चुकलहुँ, गीत आ कविता लिखल
किछु समाजिक व्यंग्य दोहा, किछ गज़ल के ढंग मे
याद आबय खूब एखनहुँ, कष्ट नेनपन के सोझाँ
नौकरी तऽ नीक भेटल, पर फँसल छी जंग मे
छोट सन जिनगी कोनाकय, हो सफल नित सोचलहुँ
ज्ञान अर्जन करैत जिनगीक, डेग सबटा उमंग मे
सोचिकय चललहुँ जेहेन, परिणाम तेहेन नहि भेटल
हार नहि मानब पुनः, कोशिश करब नवरंग मे
ताहि कारण अछि सुमन के, रंग श्यामल रंग मे
जे एखन तक भोगि चुकलहुँ, गीत आ कविता लिखल
किछु समाजिक व्यंग्य दोहा, किछ गज़ल के ढंग मे
याद आबय खूब एखनहुँ, कष्ट नेनपन के सोझाँ
नौकरी तऽ नीक भेटल, पर फँसल छी जंग मे
छोट सन जिनगी कोनाकय, हो सफल नित सोचलहुँ
ज्ञान अर्जन करैत जिनगीक, डेग सबटा उमंग मे
सोचिकय चललहुँ जेहेन, परिणाम तेहेन नहि भेटल
हार नहि मानब पुनः, कोशिश करब नवरंग मे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें