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रविवार, 27 मई 2012

बचल रहय परिवार

बात कहय मे नीक छल, बेटा गेल विदेश।
मुदा सत्य ई बात छी, असगर बहुत कलेश।।

विश्व-ग्राम केर व्यूह मे, टूटि रहल परिवार।
बिसरि गेल धीया-पुता, दादी केर दुलार।।

हेरा गेल अछि भावना, आपस के विश्वास।
भाव बसूला के बनल, भोगि रहल संत्रास।।

शिक्षित केलहुँ कष्ट मे, पूजि पूजि भगवान।
जखन जरूरत भेल तऽ, दूर भेल सन्तान।।

शिक्षित नहि करबय अगर, लोक कहत छी पाप।
मुदा एखन सन्तान लय, मातु-पिता अभिशाप।।

लागय अछि जिनगी एखन, बनल एक अनुबन्ध।
सभहक घर मे देखियौ, टूटि रहल सम्बन्ध।।

बेसी टाका की करब, करियौ सुमन विचार।
सुन्दर एहि सँ बात की, बचल रहय परिवार।।

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