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बुधवार, 9 मई 2012

हे मिथिला तूं कानय नै

हे मिथिला तूं कानय नै
जानय छी तोरा बड़ दुःख होई छौ
लेकिन नोर खासबय नै
हे मिथिला ...........................
हमहूँ तोहर कर्जदार छी
अपने कर्मे शर्मसार छी
भागी गेल छी गाम छोरी क
एबऊ तूं घबराबई नै
हे मिथिला.......................
याद अबैये खेत पथार
एतय बनल छी हम लाचार
पेट के खातिर भटैक रहल हम
लग किओ बैसाबई नै
हे मिथिला तूं .....................
तू त में छे दुःख के बुझ्बें
अप्पन कस्ट के तू नै कहबे
जनई छी तोहर ममता गे में
मिथिला में फेर बजाबई ने
हे मिथिला तूं कानय नै 


रचनाकार -आनंद झा ....

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