मीठगर बोली हम जनय छी
तैयो तीतगर बात करय छी
जौं साहित्य समाजक दर्पण
पाँती मे दर्पण देखबय छी
मिथिला के गुणगान बहुत भेल
जे आजुक हालात, कहय छी
भजन बहुत मिथिला मे लिखल
अछि पाथर, भगवान देखय छी
रोटी पहिने या सुन्दरता
सभहक सोझाँ प्रश्न रखय छी
भूख, अशिक्षा, बेकारी सँग
साल साल हम बाढ़ि भोगय छी
सुमन लिखत श्रृंगारक कविता
पहिने हालत केँ बदलय छी
तैयो तीतगर बात करय छी
जौं साहित्य समाजक दर्पण
पाँती मे दर्पण देखबय छी
मिथिला के गुणगान बहुत भेल
जे आजुक हालात, कहय छी
भजन बहुत मिथिला मे लिखल
अछि पाथर, भगवान देखय छी
रोटी पहिने या सुन्दरता
सभहक सोझाँ प्रश्न रखय छी
भूख, अशिक्षा, बेकारी सँग
साल साल हम बाढ़ि भोगय छी
सुमन लिखत श्रृंगारक कविता
पहिने हालत केँ बदलय छी
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