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बुधवार, 9 मई 2012

गजल

मीठगर बोली हम जनय छी
तैयो तीतगर बात करय छी

जौं साहित्य समाजक दर्पण
पाँती मे दर्पण देखबय छी

मिथिला के गुणगान बहुत भेल
जे आजुक हालात, कहय छी

भजन बहुत मिथिला मे लिखल
अछि पाथर, भगवान देखय छी

रोटी पहिने या सुन्दरता
सभहक सोझाँ प्रश्न रखय छी

भूख, अशिक्षा, बेकारी सँग
साल साल हम बाढ़ि भोगय छी

सुमन लिखत श्रृंगारक कविता
पहिने हालत केँ बदलय छी

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