की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट


एकटा बात कहू सजनी जौं हम नै रहब तं अहाँ रहब कोना
छोड़ी चलिजाएब जौं परदेश विरह कें दुःख अहाँ सहब कोना

पल पल हर पल हम रहैत छि प्रिया अहाँक संग सदिखन
हमर रूचि सं श्रृंगार करैत छि हमरा बिनु अहाँ सजब कोना

हमरा सँ सजनी अहाँ नुका कS नहि रखने छि दिल में राज कोनो
किछु बात जे हमही जानैत छि लाज सं ककरो अहाँ कहब कोना

मधुर मिलन लेल जी तरसत पिया पिया अहाँक मोन कहत
नैना सँ अहाँक नीर बहत तडपी तडपी अहाँ सम्हरब कोना

श्रृंगार बहत नोरक धार सँ ह्रिदय तडपत विछोडक पीड़ा सँ
भूख पियास नीन सभ त्यागी कें "प्रभातक"बाट अहाँ जोहब कोना
..............वर्ण-२५......................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें