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मंगलवार, 24 अप्रैल 2012

उपकार


रग्घू कनियाँ पीलियासँ ग्रस्त अंतिम अवस्थामे दिल्लीक लोकनायक जयप्रकाश अस्पतालमे आइ  दस दिनसँ भर्ती भेल जीवन आ मृत्युक बिच संघर्ष कए रहल छलथि  | पीलियाक अधिकता आ कोनो आन कारणे आँखिमे से इन्फेक्सन भए गेलनि लोकनायक जयप्रकाश अस्पतालक डाक्टर रग्घूसँ कहलकनि जे कनियाँक आँखि लोकनायक जयप्रकाश अस्पतालक बगलेमे आँखिक अस्पताल गुरुनानक आई हॉस्पिटल छैक ओहिठामसँ जाँच करा कए आनै लेल |
रग्घू  डाक्टरक बात मानि एहि काजमे लागि गेला | लोकनायक आ गुरुनानक दुनू सरकारी अस्पताल छैक तैं खर्चाक बात नहि मुदा  रग्घूकेँ  बोनि मजुरी रहैन रोज कमाऊ आ रोज खाऊ आ आइ दस दिनसँ अपन बोनि छोरि कनियाँ संगे एहि ठाम अस्पतालमे छथि | दस दिनसँ नव काज नै | जमा पूंजी खत्म | एखन तत्काल लोकनायकसँ गुरुनानक अस्पताल तक जाइमे पन्द्रह रुपैया जइती आ पन्द्रह रुपैया आबितीतिस रुपैया चाही  | हुनका लग छलनि कुल दस रुपैया | ओहि दस रुपैयामे अपन किछु  नास्ता भोजन सेहो, कनियाँकेँ  तँ  अस्पतालेमे भेट जाइ छलनि | ओइ ठामसँ काज करै लेल कतौ जेबों करता ताकी पाइ  होइन तँ  कम सँ कम दस रुपैया बस भारा चाहीएन |
  सभ समस्याकेँ जनैत रग्घूक कनियाँ रग्घूसँ कहलनि,  " फोन कए  ' अपन भैयासँ दू सय रुपैया माँगि लिअ, काइल्ह-परसु काज कएला बाद पाइ होएत तँ  दए  देबैन |"
रग्घू अपन कनियाँकेँ कन्हापर उठा लोकनायकसँ गुरुनानक अस्पतालकेँ लेल बिदा भए गेला आ चलैत-चलैत बजला, "अहाँ जुनि चिंता करु, रिक्सासँ नीक सबारी हमर पिठक होएत आ रहल ई  मुसीबत तँ  ई तँ चारि दिन बाद खत्म भए  जाएत मुदा केकरो उपकार सधबैमे पूरा जीवनों कम परत |"   

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जगदानन्द झा 'मनु'

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