बनिकय अजगर कत्तेक दिन
शादी तऽ एक संस्कार छी
जीबय असगर कत्तेक दिन
बिना काज के मान घटत नित
फूसिये दीदगर कत्तेक दिन
बैसल देहक काज कोन छै
एहने मोटगर कत्तेक दिन
आबहुँ जागू सुमन आलसी
खेबय नोनगर कत्तेक दिन
मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित Maithiliputra - Dedicated to Maithili Literature & Language
क्या कहूँ अपने से अपने ही बारे में? इस प्रतियोगी युग में जीने के लिए लगातार कार्यरत एक जीवित-यंत्र, जिसे सामान्य भाषा में आदमी कहा जाता है और जो इसी आपाधापी से कुछ वक्त चुराकर अपने भोगे हुए यथार्थ की अनुभूतियों को समेट, शब्द-ब्रह्म की उपासना में विनम्रता से तल्लीन है - बस इतना ही।
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