प्रस्तुत अछि रुबी झा जीक गजल--
कहियौ छोड़ब नै अहाँक पछोर यौ अहाँ जायब कतऽ
राखब संगे अहाँ के साँझ सँ भोर यौ अहाँ जायब कतऽ
चिन्हलौ नहि जानलौ अहाँ किएक एखन धरि हमरा
प्रेम बरखा सँ करब सराबोर यौ अहाँ जायब कत़ऽ
अहाँ लेल तियागल लाजो तियागल धाखो अहीँक लेल
प्रेम सरिता बहाएल पोरे पोर यौ अहाँ जायब कतऽ
छोरलहुँ हम नैहर सासुरो छोरलहुँ अहिँक लेल
मायक ममताक छोड़लहुँ कोर यौ अहाँ जाएब कतऽ
अहाँ बाजु एकबेर किरीया खाउ हम ककरा लगा के
मात्र अहीँ टा छी" रूबी "के चितचोर यौ अहाँ जाएब कतऽ
(सरळ वार्णिक बहर बर्ण-२१)
रुबी झा
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