मिथिला के माछक सुनूमहिमा,
मिथिला के ई चिन्हप्रतीक,
रंग-बिरंगक माछभेटइत अछि,
मैथिल के बड्ड माछ सप्रीत।
मारा माछक सुर-सुरझोर,
पिबते भागे ठंढ कठोर,
रोहू के ते बात नेपुछू,
दैवो सबहक नमरइछठोर।
ईचना माछ जो ठोर तरजाय,
मोनक सब दुख-दर्दबेलाय,
कातिक मास जे गईंचाखाय,
लसईक-फसईक बैकुंठोंजाय।
गोलही-भाकुर-नैनीकस्वाद,
खतम करे सब ढंगकविवाद,
पोठी, गरई, आ कांकोरक सन्ना,
सरलों भुन्ना अछिरोहूक दुन्ना।
सिंगही, मांगुर, कबईक बात,
वर्णातीत, सब हृदय जुरायत,
कोमलकाठ, बुआरी, भौरा, सौरा,
मुह पनियायल की बूढ़की छौरा।
गाबै “अमित” नितमाछक महिमा,
अछि मिथिला के ई एकगरिमा,
ब्याह श्राद्ध वा आनप्रयोजन,
करू माछ भोज के सबआयोजन।
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