की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

सोमवार, 2 अप्रैल 2012

मिथिला के माछक सुनू महिमा

मिथिला के माछक सुनूमहिमा,
मिथिला के ई चिन्हप्रतीक,
रंग-बिरंगक माछभेटइत अछि,
मैथिल के बड्ड माछ सप्रीत।

मारा माछक सुर-सुरझोर,
पिबते भागे ठंढ कठोर,
रोहू के ते बात नेपुछू,
दैवो सबहक नमरइछठोर।

ईचना माछ जो ठोर तरजाय,
मोनक सब दुख-दर्दबेलाय,
कातिक मास जे गईंचाखाय,
लसईक-फसईक बैकुंठोंजाय।

गोलही-भाकुर-नैनीकस्वाद,
खतम करे सब ढंगकविवाद,
पोठी, गरई, आ कांकोरक सन्ना,
सरलों भुन्ना अछिरोहूक दुन्ना।

सिंगही, मांगुर, कबईक बात,
वर्णातीत, सब हृदय जुरायत,
कोमलकाठ, बुआरी, भौरा, सौरा,
मुह पनियायल की बूढ़की छौरा।

गाबै “अमित” नितमाछक महिमा,
अछि मिथिला के ई एकगरिमा,
ब्याह श्राद्ध वा आनप्रयोजन,
करू माछ भोज के सबआयोजन।

रचनाकार- अमित मोहन झा

ग्राम-भंडारिसम(वाणेश्वरी स्थान), मनीगाछी, दरभंगा, बिहार, भारत।



नोट..... महाशय एवंमहाशया से हमर ई विनम्र निवेदन अछि जे हमर कुनो भी रचना व हमर रचना के कुनो भी अंशके प्रकाशित नहि कैल जाय।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें