प्रस्तुत अछि रूबी झाजिक बाल- गजल--
रुसिये गेल बौआ मनाएब कोना कए
निर्धन माय बौआ बुझाएब कोना कए
ठाढ भेल कटोरी भरि माँगय छै दूध
चिक्कस के झोर ले बजाएब कोना कए
एहन किए निर्धन बनाओल विधाता
दूधो नहि जूडय जुड़ायब कोना कए
देलक जे जन्म पुराओत सैह विधाता
लाज हुए अनका बताएब कोना कए
मानि जाउ बाबू अहाँ छी बड्ड बुधियार
छूछ माय जिद्द के पुराएब कोना कए
(वर्ण १५)
रुबी झा
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