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शनिवार, 21 अप्रैल 2012

गजल

टोना ओहे जे टोनै सभकेँ
तारी  ओहे जे तारै सभकेँ 

लेखक ओहे जे मानै मनकेँ  
रचना सभ हुनकर छूबै सभकेँ  

कनियाँ  ओहे जे भाबै वरकेँ   
सासुरमे अपना बूझै सभकेँ 

नेता ओहे जे माने विधि नै 
जूता मुक्का जे खालै सभकेँ  

घरकेँ  बेटा  नै राखे  मनदू 
आश्रम आगू ओ जीतै सभकेँ  

(मात्राक्रम - नअ नअटा दीर्घ सभ पाँतिमे)  

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