आगू नाथ नै पिछु पगहा ,
देखियौ कोना कूदै गदहा ,होर लागल फल-फूल मे ,
के सब सँ बड़का बतहा ,मुर्ख दिवस मुर्खक नामेँ ,
केरा बनि गेलै यै गदहा ,बत्तीस मार्च के सम्मेलन ,
मुर्खीस्तान मे हेतै सबहा ,पाइ कमाइ छै चारि लाख ,
मुदा सब्जी लेलनि दबहा ,चुन्नू सुतल अपन घर ,
मुदा उठल जा क' भूतहा ,मोनूआँ चढ़ल साइकिल .
उठेने माँथ पर बोझहा ,बीस टका मे दर्जन केरा ,
मुन्नू लै छै बीस मे अदहा ,माँथ उठेने छलै छै गोनू ,
खसलै खद्दा , भेलै पटहा ,चुन्नू , मुन्नू , गोनू वा "अमित "
कहू के छथि पैघ बतहा . . . । ।अमित मिश्र
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