मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। कृपया एहि ब्लॉगकेँ subscribe/ फ़ॉलो करब नहि बिसरब, जाहिसँ नव पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनिकेँ भेटैत रहत।

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

गजल

हुनक नाम लिखि-लिखि मेटेनाई बिसैर गेलहुँ
हुनका याइद क' क' बिसरनाई बिसैर गेलहुँ

बहुत रास गप त' अछि करेजे गरल हमरा
जखन भेलैन ओ सोझा सूनेनाई बिसैर गेलहुँ

हुनका बाद त' एक छण कटै अछि असमंजस
स्वप्न में रातिओ हुनका बतेनाई बिसैर गेलहुँ

साँझ में प्रतिदिन सोचेई छि बिसरायेब हुनका
मुदा भेल भिनसर बिसरनाई बिसैर गेलहुँ

आएँख में ओना त' अखनो सागर छूपेने छि हम
हुनका लग एको बुन खसेनाई बिसैर गेलहुँ

(सरल वार्णिक बहर,वर्ण -१९)

रूबी झा 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें