की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

गजल

हुनक नाम लिखि-लिखि मेटेनाई बिसैर गेलहुँ
हुनका याइद क' क' बिसरनाई बिसैर गेलहुँ

बहुत रास गप त' अछि करेजे गरल हमरा
जखन भेलैन ओ सोझा सूनेनाई बिसैर गेलहुँ

हुनका बाद त' एक छण कटै अछि असमंजस
स्वप्न में रातिओ हुनका बतेनाई बिसैर गेलहुँ

साँझ में प्रतिदिन सोचेई छि बिसरायेब हुनका
मुदा भेल भिनसर बिसरनाई बिसैर गेलहुँ

आएँख में ओना त' अखनो सागर छूपेने छि हम
हुनका लग एको बुन खसेनाई बिसैर गेलहुँ

(सरल वार्णिक बहर,वर्ण -१९)

रूबी झा 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें