मन होइए हम मरि जाइ
बस पाञ्च काठी परि जाइ छै झूठ में सदिखन रमल
दुनिआ तs ओ सब गडि जाइ
नै घुस बिना जतए काज
ओ सगर सासन जरि जाइ
एको सडल पोखरि में जँ
सब माछ ओकर सडि जाइ
कुल जाहि में एको भक्त
ओ सगर कुल मनु तरि जाइ
(बहरे-मुन्सरक, SSIS+SSSI)
***जगदानन्द झा 'मनु'
कुल जाहि में एको भक्त
ओ सगर कुल मनु तरि जाइ
(बहरे-मुन्सरक, SSIS+SSSI)
***जगदानन्द झा 'मनु'
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