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बुधवार, 11 अप्रैल 2012

रूबी झाजिक गजल

प्रस्तुत अछि रूबी झाजिक गजल ---

बात जँ मोनक एकै दिन मेँ बता दैतौ तँ नीक छल
सताबै छी पल मे एकै बेर सतालैतौ तँ नीक छल

तीर अहाँक आँखि के गरैत रहय अछि सदिखन
एकै बेर मेँ बाण जँ करेज धसा दैतौ तँ नीक छल

हमर मोन उबडुबा रहल अछि अथाह सागर मेँ
अहाँ चितवन के सागर मेँ डुबा लैतौ तँ नीक छल

अहाँ त नित स्वप्न मेँ आबि- आबि सतबय छी हमरा
अपनो सपना मेँ कहियो जँ बजा लैतौ तँ नीक छल

परोछ मे सदिखन देखबय छी अद्भुत प्रेमलीला
प्रत्यक्ष मेँ आबि जँ करेजा सँ सटालैतौ तँ नीक छल

रुबी अहाँक कते कहती तोरि तोरि गाथा विरह के
दरस देब अहाँ कहिया जँ बता दैतौ तँ नीक छल

( वर्ण २०) रुबी झा

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