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मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

गजल



ह्रदयसँ सटा तँ लिअ 
अहाँ प्रीत लगा तँ लिअ  

हम जन्मसँ अहाँकेँ छी 
प्रियतम बना तँ लिअ 

सभकेँ छोरने छी हम 
हृदयमे बसा तँ लिअ 

नै हमरा बिसरल छी 
ई हमरो जता तँ लिअ 

आब दिन बीते नै राति 
मरबसँ बचा तँ लिअ 

जीनै सकी बिनु अहाँकेँ
नै हमरा कना तँ लिअ 

ई नोर विरहकेँ अछि 
मिलनकेँ बना तँ लिअ 

सुगँधा अहाँ 'मनु'केँ छी  
ई सभकेँ बता  तँ लिअ   

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-९ )
जगदानन्द झा 'मनु'


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