अहाँ प्रीत लगा तँ लिअ
हम जन्मसँ अहाँकेँ छी
प्रियतम बना तँ लिअ
सभकेँ छोरने छी हम
हृदयमे बसा तँ लिअ
नै हमरा बिसरल छी
ई हमरो जता तँ लिअ
आब दिन बीते नै राति
मरबसँ बचा तँ लिअ
जीनै सकी बिनु अहाँकेँ
नै हमरा कना तँ लिअ
ई नोर विरहकेँ अछि
मिलनकेँ बना तँ लिअ
सुगँधा अहाँ 'मनु'केँ छी
ई सभकेँ बता तँ लिअ
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-९ )
जगदानन्द झा 'मनु'
radhe radhe
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