चाँन देखलौ त' सितारा की देखब ,
अन्हारक रूप दोबारा की देखब ,
प्रेमक सागर मे बड़ मोन लागै ,
डुबS चाहै छी त' किनारा की देखब ,
एहि ठामक मिठाई सँ बेसी मिठ ,
रूपक छाली दोबारा की देखब ,
अपने आप राति रंगीन भ' जाए ,
फेर बोतलक ईशारा की देखब ,
मेघक डरे चान नै बहरायल ,
ओ नै औता त' नजारा की देखब ,
जखन यादिक सहारे जी सकै छी ,
तखन चानक सहारा की देखब . . . । ।
अमित मिश्र
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