की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

गजल-- अमित मिश्र

चाँन देखलौ त' सितारा की देखब ,
अन्हारक रूप दोबारा की देखब ,
प्रेमक सागर मे बड़ मोन लागै ,
डुबS चाहै छी त' किनारा की देखब ,
एहि ठामक मिठाई सँ बेसी मिठ ,
रूपक छाली दोबारा की देखब ,
अपने आप राति रंगीन भ' जाए ,
फेर बोतलक ईशारा की देखब ,
मेघक डरे चान नै बहरायल ,
ओ नै औता त' नजारा की देखब ,
जखन यादिक सहारे जी सकै छी ,
तखन चानक सहारा की देखब . . . । ।
अमित मिश्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें