मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

चल रइ बौआ गाम पर

चल रइ बौआ गाम पर
चढलें किये लताम पर
कहबय चल कक्का के जा क
बैसल छथिन्ह दालान पर
चल ....................................
उम्हर एमहर कत तकई छें
लताम छलय ये थुर्री
खूब खेलो घुरमौरी
कानक निचा थापर लगतऊ
नै त चलय ने ठाम पर
चल .........................
केहन बेदर्दी भेलें रउ छौंरा
पतों के तू झट्लें
अखनो धरी नै हटलें
देखही देखही भैय्या एल्खिन
मार्थुन छौंकी टांग पर
चल ...........................

लेखक : आनंद झा

एही रचना के कोनो ता भाग के उपयोग हमरा स बिना पूछने नै करी
एकर सब टा राईट हमरा लग अछि अपन विचार

1 टिप्पणी:



  1. निस्सन्देह रचना नीक लागल ।


    एही रचना के कोनो ता भाग के उपयोग हमरा स बिना पूछने नै करी

    एकर सब टा राईट हमरा लग अछि अपन विचार जरुर दी यदि कोनो ग


    भाइ नीक रचना थिक आ स्वभविक रूपेँ रचनाकार लऽग कॉपीराइट रहैत छै।

    पर जे पहिल दू पाँती अछि ताहि सँ मिलैत - जुलैत उपयोग आनहु लोक सभ कऽ सकैत छथि, कारण एक गोट पुराण रचना केर पहिल दू पाँती एना छै

    चल गए बुच्ची गाम पर ।
    चढठलेँ किए लताम पर ।

    (श्री हरिनाथजी द्वारा "कनिञा लजाए छी किए" नामक कैसेट मे गाओल गेल अछि ।)

    जवाब देंहटाएं