चल रइ बौआ गाम पर
चढलें किये लताम पर
कहबय चल कक्का के जा क
बैसल छथिन्ह दालान पर
चल ....................................
उम्हर एमहर कत तकई छें
लताम छलय ये थुर्री
खूब खेलो घुरमौरी
कानक निचा थापर लगतऊ
नै त चलय ने ठाम पर
चल .........................
केहन बेदर्दी भेलें रउ छौंरा
पतों के तू झट्लें
अखनो धरी नै हटलें
देखही देखही भैय्या एल्खिन
मार्थुन छौंकी टांग पर
चल ...........................
लेखक : आनंद झा
एही रचना के कोनो ता भाग के उपयोग हमरा स बिना पूछने नै करी
एकर सब टा राईट हमरा लग अछि अपन विचार
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जवाब देंहटाएंनिस्सन्देह रचना नीक लागल ।
एही रचना के कोनो ता भाग के उपयोग हमरा स बिना पूछने नै करी
एकर सब टा राईट हमरा लग अछि अपन विचार जरुर दी यदि कोनो ग
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पर जे पहिल दू पाँती अछि ताहि सँ मिलैत - जुलैत उपयोग आनहु लोक सभ कऽ सकैत छथि, कारण एक गोट पुराण रचना केर पहिल दू पाँती एना छै
चल गए बुच्ची गाम पर ।
चढठलेँ किए लताम पर ।
(श्री हरिनाथजी द्वारा "कनिञा लजाए छी किए" नामक कैसेट मे गाओल गेल अछि ।)