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रविवार, 12 फ़रवरी 2012

गजल--अमित मिश्र

जीवन मे जौँ नै रहबै कने सामने रहू ,
जा धरि चलै छै साँस हम्मर सामने रहू ,
केहनो हो मौसम फुल गमक नै छोड़ै छै ,
प्रेमक गाछ कए फुल छी गमकौने रहू ,
लोग कतबो दुषित करै छै पर्यावरण ,
सुर्य-चान उगबे करतै समझने रहू ,
जौँ हटि जायब प्रियतम अहाँ सामने सँ ,
हमरा संग सिनेह हारत , जीतौने रहू ,
ऐ वालेंटाइन देखा दियौ प्रेमक तागत ,
नभ सँ भू धरि प्रेम जाम छलकौने रहू
काँट इ जमाना छै सिनेह गुलाबक फुल ,
"अमित " नदी कए दुनू कात सम्हारने रहू . . . । ।
अमित मिश्र

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