मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

रविवार, 19 फ़रवरी 2012

गजल-२१

केहन-केहन दुनियाँ, केहन-केहन रंग एकर
कियो हँसैए कियो कनैए,कियो झुमैए संग एकर

कियो मरैए दुधक द्वारे,कियो भाँग में डुबल अछि
बुझि नहि पएलहुँ आइतक कनिको ढंग एकर

लक्ष्मीके देखलौं पथैत चिपड़ी,कुबेड चराबे पारी
गंगा-यमुना पानि भरैत,की हमहुँ छी अंग एकर

भोट मांगे पोहला-पोहला कs,गदहो के बाप बना कs
जितैत देखु गिरगिट जेकाँ बदलैत रंग एकर

'मनु' छल कारिझाम चिन्हार बनोलन्हि अनचिन्हार
घरी-घरी में बदलैत देखु आब तs उमंग एकर
- - - - - - - - - - - -वर्ण-२० - - - - - - - - - - -
***जगदानंद झा 'मनु'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें