मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012

माथ झुकेने बाप ठाड़्ह छथि बेवश आ लाचार...

माथ झुकेने बाप ठाड़्ह छथि बेवश आ लाचार
माँगि रहल अछि बेटीके ससूर होण्डा सिटी कार
नगद सेहो देब संगहि ओकर देब अहाँ जेवरात
लऽ जायब नहि तऽ वापस अपनेक घरसँ बरियात!

पिता कहै छथि सुनू समधीजी, बुझू हमर हालात
सुन्दर अछि बेटी हमर, सुन्दर ओकर खयालात
घरके स्वर्ग बना के राखत खूब करत ओ सेवा
घरमें लक्ष्मी सदिखन बसती धन के भेटत मेवा!

गृहस्थीके समान में देब छै जै सब चीजक दरकार
नहि दय सकबै अपनेकेँ एखन होण्डा सिटी कार!

ससूर कहै छथि बियाहे तखन करब अछि बेकार
हमरा चाही हर हालतमें बियाह में एकटा कार!

तखनहि अन्दर सँ बेटी अपन बाप सँ कहय लगली
नहि भरियौ पूज्य पिताजी एहि भिखारी के झोली!
कतेक देबैक कहिया देबैक इ छथि भिखारी पक्के
दैत-दैत हाइरियो जायब एक दिन अहुँ थाइक के!
नहि करबैक बियाह एतय बरु करबै पूरा पढाई
कतेको लड़की जे पैढ के किस्मत अपन बनौली!
ठाड़्ह होयब पैरो पर अप्पन तखनहि करबै बियाह!
बिना बनल आत्मनिर्भर बियाह करब माने बर्बाद!

"दहेज़ मुक्त के लेल एक टा छोट कोसीसी
दहेज़ मुक्त मिथिला परिवार"
चन्दन झा "राधे"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें