हिमगिरी के आँचर सँ ससैर,
मिथिला केर माटि म पसैर
दुहु कूल बनल सिकटाक ढेर,
पसरल अछी झौआ कास पटेर
मरू प्रान्त बनल कोसी कछार,
निस्सिम बनल महिमा अपार
सावन भादो केर विकराल रूप,
पाबि अहाँ यौवन अनूप
उन्मत्त मन ,मदमस्त चालि,
भयभीत भेल मानव बेहाल
कि गाम-घर,कि फसल-खेत,
कि बंजर भू ,लय छि समेट
प्रलयलीन छि अविराम,
मानव बुद्धि नहीं करय काम
कतय कखन टूटे पहाड़,
भीषण गर्जन अछी आर-पार
तहियो हम सब संतोष राखि,
कर्तव्यलीन भेल दिन-राति
वर्षा बीतल हर्षित किसान,
खेती म लागल गाम-गाम
लहलहाइत खेत देखै किसान,
कोसी मैया कए शत-शत प्रणाम .......
- अंजनी कुमार वर्मा
हिमगिरी के आँचर सँ ससैर,मिथिला केर माटि म पसैरदुहु कूल बनल सिकटाक ढेर,पसरल अछी झौआ कास पटेरमरू प्रान्त बनल कोसी कछार,निस्सिम बनल महिमा अपारसावन भादो केर विकराल रूप,पाबि अहाँ यौवन अनूपउन्मत्त मन ,मदमस्त चालि,भयभीत भेल मानव बेहालकि गाम-घर,कि फसल-खेत,कि बंजर भू ,लय छि समेटप्रलयलीन छि अविराम,मानव बुद्धि नहीं करय कामकतय कखन टूटे पहाड़,भीषण गर्जन अछी आर-पारतहियो हम सब संतोष राखि,कर्तव्यलीन भेल दिन-रातिवर्षा बीतल हर्षित किसान,खेती म लागल गाम-गामलहलहाइत खेत देखै किसान,कोसी मैया कए शत-शत प्रणाम .......- अंजनी कुमार वर्मा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें