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शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

गजल

सुख भरल संसार चाही
हमर सब अधिकार चाही

धार शोणित संग बहतै
बायुमे टंकार चाही

नै महल गाड़ी नम्हर नै
छोट सन ओहार चाही

नै दहेजक माँग राखब
बस मखानक भार चाही

दैव नै देखै मनुख केँ
भगतकेँ गोहार चाही

चुल्हि अलगे भाइ केलक
माइ के पेटार चाही

नीक कनियाँ संग लुरि बुधि
दोखदर नै सार चाही

फाइलातुन
2122 दू बेर

बहरे रमल

अमित मिश्र

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