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शनिवार, 8 सितंबर 2012

गजल



ट्रेन चलि चुकल अछि
समय नै थम्हल अछि

मास कोनो मुदा
ज्वार बड उठल अछि

दोष नै हमर दिअ
किस्मते जड़ल अछि

धार उलटे बहल
नाह नै चलल अछि

बेँग छै साँप छै
दोस्त के बनल अछि

माँटिमे प्राण नै
गाछ नै फड़ल अछि

मोनमे मीत नै
बैर बड भरल अछि

फाइलातुन दू बेर
212-212
बहरे-रमल

अमित मिश्र

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