मानू नहि मानू मुदा सताबू नै यौ
संग में राखु नै राखु पराबू नै यौ
देखै जे छी मुख बरखो में अहाँके
स्वप्न सोझा सँ अप्पन हटाबू नै यौ
हम बूझै छी सबटा मोनक भाषा
बहला फुसियाक त' मनाबू नै यौ
करू नै दाबा झूठौका प्रेमक' एता
दोख कोनो नै हम्मर भूकाबू नै यौ
जोगौने छी अखनो प्रेमक पिहानी
अनका के संग भ' के जराबू नै यौ
जौं बुझै छी रूबी क' सजनी अपन
सभके सोझा में प्रेम जताबू नै यौ
सरल वार्णिक बहर वर्ण -१३
रूबी झा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें