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रविवार, 16 सितंबर 2012

गजल

हकन नोर माए कनै छै 
तकर पुत्र मुखिया बनै छै 

कते आब बैमान बढ़लै
गरीबक टका के गनै छै 

पतित बनल नेता तँ देशक 
दुनू हाथ ओ मल सनै छै 

पएलक कियो जतय मोका 
अपन बनि कs ओहे टनै छै 

बनल  भोकना जेठरैअति
मुदा 'मनु' तँ सभटा जनै छै 

(बहरे मुतकारिब, मात्राक्रम-१२२)

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