की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। sadhnajnjha@gmail.com पर e-mail करी Or call to Manish Karn Mo. 91 95600 73336

गुरुवार, 13 सितंबर 2012

गजल


भीख नै हमरा अपन अधिकार चाही
हमर कर्मसँ जे बनै उपहार चाही

कान खोलिकऽ राखने रहऽ पडत हरदम
सुनि सकै जे सभक से सरकार चाही

प्रेम टा छै सभक औषध एहिठाँ यौ
दुखक मारल मोनकेँ उपचार चाही

सभ सिहन्ता एखनो पूरल कहाँ छै
हमर मोनक बाटकेँ मनुहार चाही

"ओम" करतै हुनकरे दरबार सदिखन
नेह-फूलसँ सजल ओ दरबार चाही
बहरे-रमल
दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ (फाइलातुन) - प्रत्येक पाँतिमे तीन बेर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें