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शनिवार, 8 सितंबर 2012

गजल



जँ करबै विश्वास भेटत दर्द सगरो
खसल लोकक नेत संगे नेह नजरो

गजल माँगै भाव संगे शब्द हल्लुक
अपन भाषा संग राखू मोन बहरो

सिनेहसँ छै भरल पति-पत्नी जगतमे
मुदा ओतौ होइ छै कखनो कऽ झगड़ो

बरसि जेतै मेघ रौदी भागि जेतै
खसै छै अमृत बहै ठनकाक नहरो

कते मोनक बात मोनेमे रहै छै
हुनक चुप्पी अमित देलक तोड़ि हमरो

मफाईलुन-फाइलातुन-फाइलातुन
1222-2122-2122

बहरे-सरीम

अमित मिश्र



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