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सोमवार, 10 सितंबर 2012

पर्वत एहन दर्द


कोलाहल अछि सागर एहेन ,
लहर एहेन अछि भरल द्वन्द ,

पर्वत एहन दर्द भरल अछि ,
आ ढेपा एहन अछि आनंद l

जिनगी क इ रस देखु त ,
कतेक लगेत नुनगर अछि ,

जीत जाई अछि दुःख दर्द सभ,
एसकर सुखे टा हारल अछि ,

पूष्प सरीखा मांछक ऊपर ,
ओछायल अछि काटंक फंद,

पर्वत एहन दर्द भरल अछि ,
आ ढेपा एहन अछि आनंद l

जतबे ताकि हम शीतलता ,
ओतबे लहरल आइग भेटए,

प्यास त चुप चाप भेल अछि ,
मौनक् मदिरा हम पिलहूँ,

संपन्न भा गेल सबटा गीत ,
शेष बांचल अछि व्यथा केर छंद ,

पर्वत एहन दुःख भरल अछि ,
आ ढेपा एहेन अछि आनंद l

[रूबी झा ]

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