कोलाहल अछि सागर एहेन ,
लहर एहेन अछि भरल द्वन्द ,
पर्वत एहन दर्द भरल अछि ,
आ ढेपा एहन अछि आनंद l
जिनगी क इ रस देखु त ,
कतेक लगेत नुनगर अछि ,
जीत जाई अछि दुःख दर्द सभ,
एसकर सुखे टा हारल अछि ,
पूष्प सरीखा मांछक ऊपर ,
ओछायल अछि काटंक फंद,
पर्वत एहन दर्द भरल अछि ,
आ ढेपा एहन अछि आनंद l
जतबे ताकि हम शीतलता ,
ओतबे लहरल आइग भेटए,
प्यास त चुप चाप भेल अछि ,
मौनक् मदिरा हम पिलहूँ,
संपन्न भा गेल सबटा गीत ,
शेष बांचल अछि व्यथा केर छंद ,
पर्वत एहन दुःख भरल अछि ,
आ ढेपा एहेन अछि आनंद l
[रूबी झा ]
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