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शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

कर्तव्य निर्वाह


शहरक एक मात्र नामी सरकारी हाँस्पिटलक इमरजेँसी वार्डमे होइत कन्ना-रोहट पूरा प्रांगनकेँ कपाँ रहल छल । अगल-बगलकेँ लोक सेहो जुटि नोराएल नैन लेने ठाढ़ छलैए । 50 वर्षक बूढ़ मरीजकेँ नाँकसँ आँक्सीजनक पाइप बान्हल छलै मुदा साँस बड तेजीसँ उपर-नीच्चा होइत छलै । 14 वर्षक बच्चा दौड़ कऽ डाँक्टर साहेबकेँ कहलक मुदा डाँक्टर साहेब कहलनि ,"नर्सकेँ कहू सुइया लगा दै लेए।"
बच्चा हाँफैत नर्सकेँ  खोजऽ लागल मुदा नर्स नञि भेटलै ओ दोसर वार्डकेँ नर्सकेँ कहलक सुइया लगा दै लेए ,नर्स जबाब देलनि ,"हम एखन ड्यूटीपर नञिछी , किनको दोसरकेँ कहू ।"
बच्चाकेँ आँखिसँ खसैत नोर गालके भीजाबैत उज्जर फर्शपर पसरि रहल छल ।ओ फेर डाँक्टरकेँ जा कऽ कहलक । डाँक्टर साहेब फटकारैत बाजलाह ,"हम डाँक्टरीके डिगरी सुइया भोँकै लेल नञि लेलौँ ।"
बच्चा हतास भेल ओहि मरैत शरीर लग बैसि गेल । साँस आरोह-अवरोह करैत बन्न भऽ गेलै । ओहि 14 वर्षक अनाथके आँखिसँ नोर झहरैत रहल आ एहि ब्रम्हांडक दोसर भगवान अपन कर्तव्य निर्वाह करैत रहलाह ।

अमित मिश्र

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