मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। कृपया एहि ब्लॉगकेँ subscribe/ फ़ॉलो करब नहि बिसरब, जाहिसँ नव पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनिकेँ भेटैत रहत।

शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

भगवान आहाँ हमर प्रणकेँ लाज राखि लेब





किछु दिन भेल,
दिल्लीसँ पटना लौटैत रही,
गुंजन श्री 
मोनहीं मोन एकटा बात सोचैत रही,
ताबेत एकता अर्धनग्न बच्चा सोझामे आयल,
आ कोरामे अपनोसँ छोटके लेने,
चट्ट दसोझामे औंघरायल,
हम सोचिते रही  जे आब की करी  ,
बच्चा बाजल,-
सैहेब अहाँ की सोचि रहल छी  ?
हम तआब अपनों सोचनाय छोड़ि देने छी ,
जौ मोन हुए त दान करू,
हमरा हालैतीपर सोच कनै हमर अपमान करू,
बात सुनि ओकर, 
अपन जेबीमे हाथ देलहुं,
आ ओकर तरहत्थीपर किछु पाइ गाइन देलहुं,
डेरा पहूँची कसोचलहूँ की हम ई नीक केलहुं,
या एकटा निरीह नेन्नाकेँ भिखमंगीकेँ रास्ता पर आगू बढ़ा देलहुं,
प्रण केलहूँ अछि जे आब ककरो भीख नहि  देब,
भगवान आहाँ हमर प्रणकेँ लाज राखि लेब,
जा हम त अपने भीख माँगि रहल छी भगवान सँ,
जो रे भिखमंगा,....छिह.......

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें