मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

सोमवार, 10 सितंबर 2012

गजल


मनुखक एहि दुनियाँमे कोनो मोल नहि रहल 
हमरा लेल केकरो लग  दूटा बोल नहि रहल 

बजाएब  कतए ककरा  सभटा साज टूटिगेल 
छल एकटा फूटल ओहो आब ढोल नहि रहल 

सभतरि घुमैत अछि   मनुखक भेषमे हुडार
नुकाबै लेल ओकरा लग कोनो खोल नहि रहल  

रातिक भोजन ओरिआनमे माएक मोन अधीर 
छल हमर बाड़ीमे एकटा से ओल नहि रहल 

हँसैत आ मुस्काइत रहए जतएकेँ लोकसभ 
मिथिलाक गाममे 'मनु' आब ओ टोल नहि रहल 

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१९) 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें