मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

शुक्रवार, 7 जून 2013

तरकारीबाली


- तरकारी लिअ ।हरियर, ताजा . . . ।
- गै पालक कोना छौ ?
- नै बेसी पचासे लगा देब ।
- पचास, बाप रे बाप. . .बड बेसी छौ . . . अच्छे ई खाइमे केहन लागै छै ?हम नै खेने छी ।
- नीके लागैत हेतै ।तीत तँ नहिये हेतै ।
- हेतै ?मने तूँहूँ नै खेने छहीं ।तोरा तँ अपन खेतेमे छौ तखन. . .
- एते ने मँहगाइ हइ जे एकरा खाइत ममता लागैत हइ ।बेच देबै तँ दू टाका कमा लेब, खेलासँ तँ किछु नै भेटतै ।
हम सोचमे पड़ि गेलौं ।जखन खेत बलाकेँ अपन उपजा खाइमे कोढ़ फटै छै तँ आम जनताक हाल केहन हेतै ?

अमित मिश्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें