की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

शनिवार, 1 जून 2013

बड़का बाबू



दस बर्खक नेना अक्षत अपन माएसँ, “माए माँछ बनेलहुँ मुदा बड़का बाबूकेँ तँ खाए लेल कहबे नहि केलियन्हि |”
माए, “रहअ दहि, तोहर बड़की माएकेँ एनाहिते बड़काटा ब्याम छनि | ओ अपना घरमे पिआउज, लहसुन, माँछ-माँसु नहि बनेता आ हम अपना घरमे बनाबी तँ तोहर बड़का बाबूकेँ खुआबू |”
अक्षत, “मुदा माए जँ बड़का बाबू बूझि गेलखिन्ह कि अक्षतक घरमे माँछ बनलै आ हुनका खाए लेल नहि कियो कहलकनि तहन ?”
माए टपाकसँ, “तहन की हमरा कोनो केकरो डर नहि लगैए |”
अक्षत, “ई गप्प नहि छै माए....(कनिक काल चुप्प, आगू ) जखन हम कमाए लागब तँ सभ दिन माँछ-माँसु बना बड़का बाबूकेँ खुएब.. |”
*****                                           
जगदानन्द झा ‘मनु’ 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें